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अवार्ड वापस करने वाले कौन थे ?

दोस्तों पिछले कुछ दिनों से मैं सोच रहा था कि आजकल वह लोग नहीं दिख रहे हैं । जो देश में खराब महौल के नाम पर सरकार को घेर रहे थे और अपना अवार्ड वापस कर रहे थे । शायद अमरनाथ यात्रा उनको दिख नहीं रही है । उनको अवार्ड वापस करने का कोई जरूरत महसूस नहीं होता है। देश में मोदी जी प्रधानमंत्री बनते हैं  तो उन्हें असहिष्णुता लगता है ।अमरनाथ यात्रा होता है उसमें आतंकवादी पूरे बस के लोगों को गोलियों से मारने की कोशिश करते हैं और कुछ लोगों की जान भी जाती है । तो उन लोगो को इसमें देश के खिलाफ  में कोई साजिश नजर नहीं आता है। बल्कि सिर्फ वह आतंकवादी हमला होता है। क्या बिना देख गद्दार से मिले आतंकवादी देश में हमला कर सकते हैं ? हो सकता है उन्हें यह आतंकवादी हमला हमला ना लगता हो । अवार्ड वापस करने वाले अब वही लोग सरकार से नहीं कहते हैं कि हम आपके साथ हैं और पाकिस्तान पर हमला करके इन लोगों के शहादत की बदला लीजिए। सरकार का साथ देना मतलब कांग्रेस का चाटुकारिता बंद होना है ।क्योंकि वह लोग कांग्रेस के इशारे पर काम कर रहे थे कि देश में आतंकवादी हमले हो रहे हैं और मैं उसके खिलाफ सरकार से मांग नहीं करते  कि आप कुछ भी करके देश की जनता का जो सहादत है वीर सैनिकों की शहादत है, उसका आप पाकिस्तान से बदला लीजिए । अगर देश में पूरा जो एक समाज है
वह सरकार के साथ खड़ा होता है तो सरकार को भी मजबूती मिलता है। तो वहीं कुछ लोग राजनीति के फंदे में फंसकर देश विरोधी बातें करने लगते हैं । और देश को ही उल्टा गालियां देने लगते हैं। सरकार के साथ खड़ा होने का किसी की हिम्मत नहीं है । सरकार कुछ करती भी होता है तो उसका लोग सबूत मांगने लगते हैं सर्जिकल स्ट्राइक करो सबूत, जीएसटी लगाओ फायदे बताओ, क्या उन लोग का कोई जिम्मेदारी नहीं होता है । जो आज देश के पैसे से करोड़ों करोड़ों रुपए का मकान खरीद कर फाइव स्टार होटलों में रात बिताते हैं । हो सकता है देश को यह बात बताना हो कि आप लोग को जवाब मिलता है उसका भी पैसा देश की जनता द्वारा ही दिया जाता है । जनता तो नादान है इस बातों को नहीं समझ सकते उसे क्योंकि सीधे पैसे नहीं दिए जाते हैं बल्कि टैक्स के रूप में लिए जाते हैं । उन्हीं के पैसे खा कर के उन्हीं को आप गालियां देंगे तो जनता आप को माफ कभी नहीं कर सकती हैं।
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