Header Ads

स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार भाग 2 / swami Vivekananda quotes in hindi part 2




भला  हम  भगवान  को  खोजने  कहाँ  जा  सकते  हैं  अगर  उसे  अपने  ह्रदय  और  हर एक  जीवित  प्राणी  में  नहीं  देख  सकते .

तुम्हे  अन्दर  से  बाहर  की  तरफ  विकसित  होना  है . कोई  तुम्हे  पढ़ा  नहीं  सकता , कोई  तुम्हे  आध्यात्मिक  नहीं  बना  सकता . तुम्हारी  आत्मा  के आलावा  कोई  और  गुरु  नहीं  है .
दिल  और  दिमाग  के  टकराव  में  दिल  की  सुनो .
किसी  दिन  , जब  आपके  सामने  कोई   समस्या  ना  आये  – आप  सुनिश्चित  हो  सकते  हैं  कि  आप  गलत  मार्ग  पर  चल  रहे  हैं .

       यह पुस्तक आप के लिये उपयोगी हो सकता हैं ।

                              
स्वतंत्र  होने  का  साहस  करो . जहाँ  तक  तुम्हारे  विचार  जाते  हैं  वहां  तक  जाने  का  साहस  करो , और  उन्हें  अपने  जीवन  में  उतारने  का  साहस  करो .

किसी  चीज  से  डरो मत . तुम  अद्भुत  काम  करोगे . यह  निर्भयता  ही  है  जो   क्षण  भर  में  परम  आनंद  लाती  है .
सबसे  बड़ा  धर्म  है  अपने  स्वभाव  के  प्रति  सच्चे  होना .  स्वयं  पर  विश्वास  करो .

सच्ची  सफलता  और  आनंद  का  सबसे  बड़ा  रहस्य   यह  है : वह  पुरुष  या स्त्री जो  बदले  में  कुछ  नहीं  मांगता , पूर्ण  रूप  से  निस्स्वार्थ  व्यक्ति  , सबसे  सफल  है .

जो  अग्नि  हमें  गर्मी  देती  है  , हमें  नष्ट   भी  कर  सकती  है ; यह  अग्नि  का  दोष  नहीं  है .



बस  वही  जीते  हैं ,जो  दूसरों  के  लिए  जीते  हैं .
शक्ति  जीवन  है , निर्बलता  मृत्यु  है . विस्तार  जीवन  है , संकुचन  मृत्यु  है . प्रेम  जीवन  है  , द्वेष  मृत्यु  है .

हम  जो  बोते  हैं  वो  काटते  हैं . हम  स्वयं  अपने  भाग्य   के  विधाता  हैं . हवा  बह  रही  है ; वो  जहाज  जिनके  पाल  खुले  हैं , इससे टकराते  हैं , और  अपनी  दिशा  में  आगे  बढ़ते  हैं , पर  जिनके  पाल  बंधे  हैं हवा  को  नहीं  पकड़  पाते . क्या  यह  हवा  की  गलती  है ?…..हम  खुद  अपना  भाग्य   बनाते  हैं .

ना  खोजो  ना  बचो , जो  आता  है  ले  लो .
शारीरिक , बौद्धिक  और  आध्यात्मिक  रूप  से  जो  कुछ  भी  कमजोर  बनता  है – , उसे  ज़हर की तरह  त्याग  दो .
एक  समय  में  एक  काम  करो , और  ऐसा  करते  समय  अपनी  पूरी  आत्मा  उसमे  डाल  दो  और  बाकी  सब  कुछ  भूल  जाओ .

कुछ  मत  पूछो , बदले  में  कुछ  मत  मांगो . जो  देना  है  वो  दो ; वो  तुम  तक  वापस  आएगा , पर  उसके  बारे  में  अभी  मत  सोचो .

जो  तुम  सोचते  हो  वो  हो  जाओगे . यदि तुम  खुद  को  कमजोर  सोचते  हो , तुम  कमजोर  हो  जाओगे ; अगर  खुद  को  ताकतवर  सोचते  हो , तुम  ताकतवर  हो  जाओगे .


मनुष्य   की  सेवा   करो . भगवान  की  सेवा  करो .

मस्तिष्क   की  शक्तियां  सूर्य  की  किरणों  के  समान  हैं . जब  वो  केन्द्रित  होती  हैं ; चमक  उठती  हैं .



आकांक्षा , अज्ञानता , और  असमानता  – यह  बंधन  की  त्रिमूर्तियां  हैं .

यह  भगवान  से  प्रेम  का  बंधन  वास्तव  में ऐसा है  जो  आत्मा  को  बांधता  नहीं  है  बल्कि  प्रभावी  ढंग  से  उसके  सारे  बंधन  तोड़  देता  है .

कुछ  सच्चे , इमानदार  और  उर्जावान  पुरुष  और  महिलाएं ;  जितना  कोई  भीड़  एक  सदी  में  कर  सकती  है  उससे  अधिक  एक  वर्ष  में  कर  सकते  हैं .

      यह पुस्तक आप के लिये उपयोगी हो सकता हैं।

                           
जब  लोग  तुम्हे  गाली  दें  तो  तुम  उन्हें  आशीर्वाद  दो . सोचो  , तुम्हारे  झूठे  दंभ  को  बाहर निकालकर  वो  तुम्हारी  कितनी  मदद  कर  रहे  हैं .

खुद  को  कमजोर  समझना  सबसे  बड़ा  पाप  है .
धन्य   हैं  वो  लोग  जिनके  शरीर  दूसरों  की  सेवा  करने  में  नष्ट   हो  जाते  हैं .

श्री  रामकृष्ण   कहा  करते  थे ,” जब  तक  मैं  जीवित  हूँ , तब  तक  मैं  सीखता  हूँ  ”. वह  व्यक्ति  या  वह  समाज  जिसके  पास  सीखने  को  कुछ  नहीं  है  वह  पहले  से  ही  मौत  के  जबड़े  में  है .

loading...

No comments

Comments system