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किसान अबतक गरीब क्यों हैं!


आज भारत में एक मजबूत सरकार है जो किसानों के हित की बात कर रही है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इसके पहले की सरकारे किसानों को सिर्फ चूसा है लगता तो ऐसा ही है क्योंकि जब से देश आजाद हुआ है तब से आज तक किसानों की आमदनी सिर्फ लगभग 20% बढ़ी है वही नौकरी करने वाले लोगों का वेतन लगभग 120% से ज्यादा बढ़ चुका है । कहीं ना कहीं किसानों का इस देश में शोषण हुआ है जिससे आज किसान बेहाल है और यहां तक की किसान आत्महत्या कर रहे हैं यह समझना बहुत जरूरी है कि एक नौकरी करने वाले व्यक्ति से किसान कितना ज्यादा मेहनत करता है और जिसके आधार पर पूरा भारत टिका हुआ है।यदि किसान एक सीजन फसल पैदा ना करे तो पूरे भारत की स्थिति क्या होगी इसका कल्पना कर सकते हैं। ना कि भारत में बल्कि इसका असर पूरे विश्व में पड़ेगा इसीलिए तो भारत को कृषि प्रधान देश कहा गया है , अब यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि कृषिप्रधान देश में किसान आत्महत्या करें भूखा मरे यह कैसे सहन हो सकता है । इन्हीं किसानों के नेता बन कर तमाम लोग आएं और सत्ता के सुख में किसानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया देखा जाए तो सिर्फ अपना विकास किया। इससे किसान को निराशा हाथ लगी आखिर किसान करें भी तो क्या करें जिधर भी उसको जिधर भी आशा की किरण दिखती है वह उधर ही दौड़ पड़ता है यह बात अलग हैं कि इस दौड़ में भी किसान अक्सर पीछे हो जाता है,और चंद लोग आगे निकल कर अपना विकास करना शुरू कर देते हैं । आज देश की जो स्थिति है उसमें किसान सिर्फ एक नाम पर विश्वास कर रहा है वह मोदी जी का नाम है जिन्होंने किसानों के लिए बहुत सारे लाभकारी योजनाएं लाए जिससे किसानों में एक आशा की किरण जगी है । 

और मोदी जी ने जो वादा किया वह यह है कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी यदि ऐसा होता है तो वास्तव में किसान को बहुत लाभ होगा क्योंकि देश आजाद होने से लेकर अब तक 20% आय में वृद्धि होती है तो मोदी जी ने दोगुना मतलब 100% की वृद्धि सिर्फ 2022 तक करने को कहा है आप सोच  सकते हैं कि इससे किसान का कितना फायदा होगा जब कृषि- प्रधान देश में किसान सुखी रहने लगे और उनकी जरूरतों की पूर्ति हो तो, देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर जाने से कोई नहीं रोक सकता है भारत में सिर्फ किसान खुशहाल हो जाते हैं तो पूरे भारत की रफ्तार देखने लायक होंगी।
                       
राहत इंदौरी का एक सेर इस प्रकार हैं
       "फैसला  जो भी  हो मंजूर  होना चाहिए,
       जंग हो या  इश्क हो  भरपूर होना चाहिए,
       कट चुके हैं उम्र सारी जिनकी पत्थर तोड़ते
      अब तो इनकी हाथों में कोहिनूर होना चाहिए"

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