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कंजड़ बस्ती तक क्यों नहीं पहुँचा विकास !


आज हमारे देश की जनसंख्या लगभग 125 करोड़ से ज्यादा है और देश में लगातार विकास हो रहा है लेकिन एक जगह ऐसा भी है जहां अभी तक विकास नाम की कोई चीज नहीं है जैसे सड़कें,शौचालय,घर, स्कूल पीने का पानी तक नहीं है । आज आप किसी भी कंजर बस्ती में जाइए तो देखेंगे कि सब कुछ बिखरा सा होगा बच्चों के तन पर कपड़ा शायद ही हो रहने के लिए आज भी उनके पास मकान नहीं है झोपड़ी में रह रहे हैं उनकी आय का कोई श्रोत  नहीं है सिवाय भीख मांगने के जिस दिन वह भीख ना मांगे तो उन्हें खाना नसीब नहीं हो सकता हैं ,पानी से ही काम चलाना पड़ेगा! वह पानी भी जहरीला ही होगा क्योंकि स्वच्छ पानी की कीमत तो ₹20 लीटर है जो सिर्फ पैसे वालों लोगों के लिए है । 

इन परिस्थितियों में वहां के बच्चों के क्या दशा होगी वहां के बच्चे संघर्षशील हो जाते हैं,लेकिन विचारशील नहीं हो पाते हैं और आप जानते होंगे कि सारा खेल विचार का ही है। जब वहां पर चारों तरफ गंदगी है खाने के लिए खाना नहीं है ना ही पीने के लिए पानी है और पढ़ने के लिए कोई स्कूल भी नहीं है ऐसे में उनका शरीर स्वस्थ कैसे हो सकता है । आप सभी लोग जानते हैं कि "स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है" यदि उनके लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई तो ना ही वह स्वस्थ रहेंगे और ना ही उनका विकास हो पाएगा। आज जरूरत है उन लोगों के लिए सरकार कोई उचित व्यवस्था करें और समाज के लोग भी अपना योगदान देकर उन लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश करें ताकि आने वाले दिनों में उन बच्चों का भी भविष्य बेहतर हो सके ।

 यदि ऐसा नहीं होता है तो यह मानव समाज के लिए एक कलंक ही होगा, जहा एक तरफा लोग पैसे को शराब और गलत कार्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं वही कुछ बच्चे पढ़ाई जैसे बुनियादी व्यवस्था से वंचित है। यदि समाज का हर व्यक्ति थोड़ा- थोड़ा मदद करे तो वह दिन दूर नहीं होगा जब कंजर बस्ती में एक नया बस्ती होगा जिसमें से हजारों लड़के लड़कियां देश के विकास में अपना योगदान देंगे यह तभी संभव है जब समाज के लोग उनके साथ देना शुरू करेंगे!!

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