निराश चिड़िया
जिसके संग चिड़िया खेला करती थी
जानवर प्यार करते थे
एक इसारे वे पास आया करते थे
पर शायद वह न रहा
वह हमसे भय खाया करते हैं
लाख कोशिशें कर लो फिर भी वह डरते हैं
देखने में प्रकृति वही हैं पर
पर कुछ तो बदला लगता है
पहले हम प्रकृति में जीते थे
अब हम प्रकृति पर जीते हैं
पूछो जरा एक बार इससे
इस पर क्या-क्या बीता हैं
वही है नदियां वही है वही पहाड़
नजारा कुछ तो बदला है
पहाड़ों पर हरियाली नहीं
नदियां हुई अब नाली है
एक बार सोच कर देखो मनुष्य
प्रकृति के सामने तू कितना खाली है।
Post a Comment