गोवा मणिपुर में कांग्रेस की नाकामी !
गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन सरकार बनाने में नाकाम हुई इससे बहुत फायदा भाजपा को हुआ और वह दोनों प्रदेशों में जादुई आंकड़ा जुटाकर सरकार बनाने में सफल हुए। कांग्रेस बहुमत से थोड़ी ही दूर थी वहीं भाजपा भी बिल्कुल उसके पीछे खड़ी थी कांग्रेस में खींचातानी देखकर अन्य छोटे दल के नेता भाजपा में शामिल होना अच्छा समझे क्योंकि छोटे दलों व निर्दल विधायक जो भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ कर जीते थे आज वह भी उन्हें के साथ मिलकर सरकार बना रहे हैं । इसको खरीद फरोक नहीं खाया जा सकता क्योंकि हर छोटी पार्टी चाहती है कि सरकार उन्हीं के साथ बनाया जाए जिसकी सरकार केंद्र में भी हो,जिससे प्रदेश का अच्छा विकास हो सके जाहिर है कि इसमें खुद का स्वार्थ छुपा होता है ।
कांग्रेस इसको लोकतंत्र की हत्या कह रही है जबकि कांग्रेस ने इससे पहले ही तरह के कार्य कर चुकी है,जो पूरा देश देखा है । इन बातों को कहने से पहले कांग्रेस को आत्ममंथन की आवश्यकता है जिस से पार्टी को ताकत मिले रणनीति में सुधार हो । आने वाले चुनाव में हो सकता है कि कांग्रेस के लोग विश्वास का जीतने के काबिल हो सके ! लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है क्योंकि राहुल गांधी ने तो इसे सिर्फ छोटी हार बताकर टाल रहे हैं यह कांग्रेस के भविष्य के लिए बेहतर नहीं होगा , कांग्रेस अब पूरे देश में सिकुड़ रहा है। आज उसकी पकड़ जनता पर काफी ढीली हो चुकी है जिसको कांग्रेस हाईकमान मानने को तैयार नहीं है, और इस हार के लिए EVM को दोष दे रहे हैं दोबारा चुनाव कराने का मांग कर रहे हैं । देखा जाए तो 2014 में उत्तर प्रदेश में लोकसभा में 80 में से 73 सीट भाजपा ने जीता था तब ईवीएम की कोई बात नहीं हुई थी । मोदी जी की प्रसिद्धि किसी से छुपी नहीं है आज जुबान जुबान पर सिर्फ मोदी का ही नाम है तो कांग्रेस को समझना होगा वह अपने अंदर सुधार करे वरना आने वाले समय में कांग्रेस की दशा बहुत बुरी हो सकती है ।
कहां गया है "कि हम तो शीशा का धूल पोछकर चेहरा देखते रहे फिर भी चेहरे पर धूल ही था,सच्चाई तो यह थी कि धूल शीशे पे नही बल्कि चेहरे पर थी"।अब कांग्रेस वालो को चाहिए कि वह शीशे के धूल को न साफ कर चहरे की धूल साफ करे जिसमें शीशा उनको उनकी स्वच्छ चेहरा दिखा सके यदि ऐसा नही होता हैं हो सकता धूल इतना ज्यादा हो जायेगा कि चेहरा काला पड़ जाये !
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